Just Kidding
Friday, October 16, 2020
Sunday, August 25, 2019
Tuesday, March 19, 2019
कल वाली
एकबार पति-पत्नी एक बाग़ में हाथ में हाथ डाले घूम रहे थे,उसी वक़्त वहां से एक शरारती बच्चा गुज़रा और बोला-"अंकल कल वाली ज़्यादा मस्त थी।"
पति चार दिन से ख़ाली पेट,बाग़ में उस बच्चे को ढूंढ रहा है।
अबला बनी सबला
पुराने ज़माने में औरत को अबला और आधुनिक समय में सबला क्यों कहा जाता है ??
बड़े-बड़े विद्वान भी इसका जवाब नहीं दे पाये, लेकिन एक शादीशुदा जोड़े ने इसकी बड़ी सुंदर व्याख्या करी :- पहले महिलाओं को अबला इसलिए कहते थे क्योंकि घर-ख़र्च के लिए जब रुपए ख़त्म हो जाते थे तो बस ज़रूरत भर रकम के लिए पति से कहती थीं...........अब_ला....
आजकल की तेज़-तर्रार महिलाएं,पति को वेतन मिलते ही कहती हैं......... सब_ला..... इसलिए इन्हें सबला कहा जाने लगा।
Saturday, March 9, 2019
क्या चाँद ला सकते हो
जुम्मन मियाँ को रोमांटिक मुङ मे देखकर...
उनकी बेगम बोली : एक बात सुनिए..
आप मेरे लिए क्या कर सकते हो ??
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मियाँ - जो तुम कहो, बेगम!!
बेगम - क्या चाँद ला सकते हो ??
मियाँ ... कमरे मे गए और कुछ चीज छिपा कर लाये और बेगम से कहा आँखे बंद करो....
और वो चीज़ बेगम के हाथो में रख दी। फिर आँखे खोलने को कहा।
बेगम की आँखों में आंसू थे।
क्योकि उनके हाथो में एक आइना था जिसमे बेगम का चेहरा नज़र आ रहा था।
बेगम - या खुदा. .
आप मुझे चाँद सा समझते हो..!!
मियाँ बोले: नहीं मैं तो आपको सिर्फ ये समझा रहा था !!
जिस मुँह से चाँद मांग रही हैं वो सुरत कभी आईने में भी देख लिया करो...
😳😳😳😳😳😳
*फिलहाल जुम्मन की याददास्त चली गयी है।।।*
😂😂
रे मन जूता राखिये
रे मन जूता राखिये, पालिश से चमकाय।
न जाने किस बैठक में, लेन-देन हुई जाय.
जूता संसदीय है ,संसद में चलता है.
ये अस्त्र बगैर लाइसेंस के मिलता है.
पैरों में पहना तो पैरों का गहना है,
हाथों में आये तो फिर क्या कहना है.
जूते और आदमी का दोतरफा रिश्ता निकलता है.
कभी आदमी जूते पर, कभी जूता आदमी पे चलता है.
इतना तो मजनू भी नहीं पिटा था लैला के प्यार में,
जितना विधायक जी पिट गए अपनी सरकार में !!
मेरा_बूट_सबसे_मज़बूत
Friday, January 11, 2019
CBI
नोएडा के एक फाइवस्टार हॉस्पिटल में डॉक्टरों की टीम ने पेशेंट को तुरंत बायपास सर्जरी करवाने की सलाह दी......
पेशेंट बहुत नर्वस हो गया किंतु तुरंत तैयारी में लग गया.....
ऐसे वक्त थोडा संयम रखकर सैकेंड ओपीनियन लेना ज्यादा ठीक होता.....
ऑपरेशन के पहले वाले सारे टेस्ट हो जाने के बाद डॉक्टर की टीम ने बजट बताया....18 लाख.......
जो कि पेशेंट और परिवार वालों को बहुत ही ज्यादा लगा...
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लेकिन....
"जान है तो जहान है"....
यह सोचकर वह फॉर्म भरने लगा...
फार्म भरते भरते व्यवसाय का कॉलम आया...
आपरेशन की टेंशन....और रूपये के इंतजाम की उधेड़बुन में....
ना जाने क्या सोचते सोचते या पता नहीं किस जल्दबाजी में.....
उसने उस काॅलम के आगे "C.B.I." लिख दिया....
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और फिर.....
अचानक हॉस्पिटल का वातावरण ही बदल गया...
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डॉक्टरों की दुसरी टीम चेकअप करने आयी....
रीचेकिंग हुई....
टेस्ट दोबारा करवाए गए....
और.....
टीम ने घोषित किया कि ऑपरेशन की जरूरत नहीं है......मेडिसिन खाते रहिये ब्लाकेज निकल जायेगा....
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पेशेंट को रवाना करने से पहले तीन महीने की दवाइयाँ फ्री दी गई और चैकअप और टेस्ट फीस में भी जबरदस्त 'डिस्काउँट' दिया गया....
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इस बात को छः महीने हो गये....
पेशेन्ट अब भला चंगा है....
कभी कभी उस हाॅस्पीटल में चैकअप के लिये चला जाता है....
उस दिन के बाद उसका चैकअप भी फ्री होता है....और बिना चाय पिलाये तो डाॅक्टर आने ही नहीं देते...
पेशेंट बहुत खुश है हाॅस्पीटल के इस व्यवहार से ...
गाहे बगाहे लोगो के आगे इस अस्पताल की तारीफ करता रहता है....
पर कई बार ये सोच कर बहुत हैरान होता है कि...15 साल हो गये उसे नौकरी करते....
पर....
"Central Bank of India" का एम्प्लॉई होने की वजह इतनी इज्जत.....इतना सम्मान तो उसके परिवार वालों ने कभी नहीं दिया....जैसे वो अस्पताल वाले उसे सर पर बैठाए रखते हैं....
🤔🤔