ऐ गो मास्टर के दिल के दरद से निकलल भोजपुरी कविता के मजा लेल जाओ
अब बुझाइल ह कि मा़स्टर बनला पाप बा
१
समय से स्कूल आई
करी खूब पढ़ाई,
लईका लईकी कुछुओ कर सब
करी मत कड़ाई।
मारे के त नाम मत लीही
डॉटहू के अधिकार नईखे,
गलती ओकर माने खातिर
माईयो बाबू तैयार नईखे।
ओरहन लेके कहवा जाई,
लईका से लंगा बाप बा
अब बुझाईल ह कि मास्टर बनला पाप बा......
२
जे स्कूल के मुँह ना देखलस
बोझा ढोवलस घास के,
उहो शिक्षा दे रहल बा
एम .ए., बी .ए. पास के।
जे करिया अक्षर ना जाने
उ गदहो आके टोक देता,
कुकुर जेकरा लाज न हाया
उहो आके भोंक देता।
रंग जमावता उहो जे,
बिल्कुल अंगूठा छाप बा
अब बुझाईल ह कि मास्टर.बनला पाप बा...
३
आवता जब छात्रवृत्ति के टायम
त संख्या लागता बढ़े,
जवना के नाम कट गईल बा
उहो लागता पढ़े।
बुझाते नईखे पढ़ाई से
कतना गहरा बा नाता,
जहिये पईसा मिल गइल
तहिये से भईल नापाता।
हाजिरी ओकर बनावत रही,
इ अभिभावक के चाप बा
अब बुझाईल ह कि मास्टर...बनला पाप बा....
4
पईसा खाता में आवे ताबो भौचर माँगल जाता
किताब ओकरा के बांटे के बा जेकरा नइखे पढ़ाई से नाता
बकरी चरावे वाला अध्यक्ष रोज पैसा के मांग करे
अनपढ़ संयोगिता आ के तरह तरह के स्वांग करे
नौकरी तो लगत बा जैसे ब्रह्मा जी के शाप बा
अब बुझाईल ह कि मास्टर...बनला पाप बा....
😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀😀
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